Sunday, September 28, 2014

[IAC#RG] यारों ! थक कर बैठ न जाना

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यारों ! थक कर बैठ न जाना
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शहीद-ए-आजम की शहादत,
याद कर हो हम सब जाग्रत,
सिखाता उनका दुनिया में आना,
यारों ! थक कर बैठ न जाना। यारों …।

सेवा, त्याग, बलिदान की आदत,
हम सब के लिए है प्रेरणादायक,
कोशिशों को कामयाबी मिलेगी,
रूकावटों से तुम रूक न जाना। यारों …।

जिनमें अपने हक के लिए भी,
लड़ने की ताकत नहीं बची,
उन गरीब-मजदूर-किसानों की भी,
एक आवाज़ तुम बन जाना । यारों …।

सिधा अंग्रेजों का लूट मिट गया,
सुखद है देश आज़ाद हो जाना,
पर अभी भी गहरी खाई पड़ी है,
बाकी है पूजीवाद का जाना । यारों …।

माना की अगली लड़ाई में यारों,
बम-बंदूकों की जरूरत नहीं,
क्रांतिकारी विचारों के साथ ही सही,
आन्दोलन की मशाल जलाना। यारों …।

शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के प्रेरणादायक जीवन का स्मरण कर हम उनका नमन करते
हैं और प्रण लेते हैं की उनके सपनों का भारत बनाने के लिए आजीवन उनका
अनुसरण करते हुए संघर्ष करते रहेंगे, जबतक हमारी सांसें चलती रहेगी। हम
थक कर नहीं बैठेंगे। कुछ लोग यह कहते सुने जा सकते हैं "कुछ नहीं हो
सकता!" पर भगत सिंह के जीवन से यह सीख मिलती है की सबकुछ हो सकता है और
हम जितनी ईमानदारी और लगन से प्रयास करेंगे उतनी जल्दी हो सकता है।
आंदोलन के कई साथी थकान महसूस कर रहे हैं, हताशा की स्थीति में मूक दर्शक
की भूमिका में आ गए हैं। उनके लिए भगत सिंह का जीवन यह बताने के लिए
काफी है की जेल की दिवारें हो या फांसी का फ़ंदा कुछ भी भगत सिंह को अपने
मिशन को आगे बढ़ाने ने नहीं रोक पायी। फिर हम क्यूँ थकें! हम क्यूँ हताश
हों! हम क्यूँ बैठें! हम क्यूँ रूकें!
इंकलाब - जिंदाबाद !
- ग़ुलाम कुन्दनम्
स्वयंसेवक, आम आदमी पार्टी।
9931018391

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(नोट : कमेंट बाक्स में कुछ लिंक दे रहा हूँ जहाँ से हम सभी प्रेरणा ले सकते हैं ।)

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