गुलाम कुंदनम जी का आक्षेप सापेक्ष है। भावनाृओं से प्रेरितऔर तथ्यों से परे है।
On 22 Jan 2018 10:17 am, "Ghulam kundanam" <ghulam.kundanam@gmail.com> wrote:
गुलाम हो चला देश
…………………………
चुनाव आयोग, सतर्कता आयोग,
सूचना आयोग सहित
कई संवैधानिक पदों पर
और संवैधानिक संस्थाओं में भी
गुलाम बैठाए जाने लगे हैं।
जो संविधान को सरकार में बैठे
दल के हिसाब से
परिभाषित और अवतरित करने लगे हैं।
अब बताने की जरूरत नहीं रही
कि कई मिडिया घराने भी
सत्तारुढ़ दल की गुलामी पर
मजबूरन उतरने लगे हैं।
इन सारे गुलामों की मदद से
जनता को गुलाम बनाकर
सत्तादल देश में घुम घुम कर
लोकतंत्र को छलने लगे हैं।
एक बार फिर से देश
गुलाम हो चला है,
राजतंत्र के नए अवतार
दलतंत्र के दस्यु गिरोहों का,
गुलामी को अब हम अपनी
नियति समझने लगे हैं।
गुलामी को अब हम अपनी
नियति समझने लगे हैं।
Õm - Õnkār - Allāh - God…..
ॐ - ੴ - الله - † …….
Jai Hind! Jai Jagat (Universe)!
- ग़ुलाम कुन्दनम्
(Ghulam Kundanam).
21/01/2018
नोट:- इस रचना में दिए गए विचारों को व्यव्हार में मैंने अपने हाथों से
तोला है, अजमाया है। 2010-11 से लेकर अब तक मेरा कई संस्थाओं से पाला
पड़ा। उन्हीं अनुभवों और वर्तमान परिदृश्यों की प्रतिछाया है यह रचना ।
कांगेस सरकार में भी यह सब होता था और भाजपा सरकार में तो उससे भी ज्यादा
हो रहा है।
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