Thursday, January 25, 2018

Re: [IAC#RG] गुलाम हो चला देश

It will not be proper to label , we Indians , with such strong remarks. Our earth is a small village where India is a tiny spot. 
All these changes will keep on coming irrespective of when and  where they are developing. Distance has become immaterial.

There will be no alternative for us except to accept them. After all change is the only thing which is permanent.



On 25-Jan-2018 10:51 AM, "AyodhyaPrasad Tripathi" <aryavrt39@gmail.com> wrote:

 मैं भगवा आतंकी हूँ। आप कभी स्वतंत्र नहीं हुए। इतना ही नहीं, आप आज भी ब्रिटेन की प्रजा हैं। मैं उपनिवेश के विरुद्ध लड़ रहा हूँ। भादंसं की धारा१२१ के अंतर्गत मुझे फांसी होनी चाहिए। भयवश एलिजाबेथ मुझे फांसी नहीं दिलवा पा रही है। नहीं मानते?

कोई बात नहीं।  

आजादी कब मिली?
जो लोग इंडिया को स्वतंत्र बता रहे हैं, कृपया अभिलेख दिखाएँ.
मैं नीचे अभिलेख दे रहा हूँ, जो सिद्ध करता है कि इंडिया आज भी ब्रिटिश उपनिवेश है और यह उपनिवेश ब्रिटिश कानूनों द्वारा ही शासित है.
http://www.aryavrt.com/bhartiya-swatantrta-adhiniyam-1947
उपनिवेश (कालोनी) किसी राज्य के बाहर की उस दूरस्थ बस्ती को कहते हैं, जहाँ उस राज्य की प्रजा निवास करती है।
कुछ लोग कहते हैं कि संविधान के लागू होने के बाद इंडिया उपनिवेश नहीं रहा। मैं अनर्गल प्रलाप करता हूँ, जबकि संविधान के अनुच्छेद ६ बी मे उपनिवेश शब्द का उल्लेख आज भी है। लेकिन संविधान या अन्य अधिनियम मे ही वह अनुच्छेद दिखाएं जिसमें 'उपनिवेश' निरस्त किया गया हो। उपनिवेश वासियों के पूर्वजों ने स्वतंत्रता हेतु बलिदान दिए हैं। अतएव उपनिवेश शब्द को निरस्त किया जाना प्राथमिकता थी, लेकिन यद्यपि ३० जून,२०१७ तक संविधान मे १२२ संशोधन होचुके, तथापि उपनिवेश शब्द आज तक क्यों नहीं हटा?
कोई उपनिवेशवासी उपनिवेश का विरोध क्यों नहीं करता? उल्टे मेरे पास तमाम पत्र आ रहे हैं कि इंडिया, दैट इज भारत, स्वतंत्र है. मैं लोगों को दिग्भ्रमित करता हूँ. मेरा सुझाव है कि सत्ता हस्तान्तरण के मात्र २७ दिन पूर्व १८ जुलाई, १९४७ को ब्रिटिश संसद में पारित निम्नलिखित अधिनियम का पहला पैरा पढ़ें,
http://www.legislation.gov.uk/ukpga/Geo6/10-11/30
"An Act to make provision for the setting up in India of two independent Dominions, to substitute other provisions for certain provisions of the Government of India Act 1935, which apply outside those Dominions, and to provide for other matters consequential on or connected with the setting up of those Dominions…"
संकलनकर्ता भीमराव अम्बेडकर ही भारतीय संविधान को जलाना चाहते थे!
अम्बेडकर ने यह दावा कभी नहीं किया कि उन्होंने यह संविधान बनाया। इसके विपरीत अम्बेडकर ने २ सितम्बर, १९५३ को राज्य सभा में कहा कि इस संविधान को आग लगाने की जिस दिन जरूरत पड़ेगी, मैं पहला व्यक्ति रहूंगा जो इसे आग लगाउॅंगा। भारतीय संविधान किसी का भला नहीं करता| अम्बेडकर का उपरोक्त वक्तव्य राज्य सभा की कार्यवाही का हिस्सा है; जिसे कोई भी पढ़ सकता है| एक बात और समझने की है कि भीमराव अम्बेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमैटी के चेयरमैन थे| जब संकलनकर्ता ही भारतीय संविधान को जलाना चाहते थे, तो आप भारतीय संविधान पर क्यों विश्वास करते हैं?
क्यों बना भारतीय संविधान?
उत्तर है, मानव मात्र को दास बनाने और वैदिक सनातन संस्कृति को नष्ट करने के लिए|
एलिजाबेथ को भी ईसा का आदेश है, "परन्तु मेरे उन शत्रुओं को जो नहीं चाहते कि मै उन पर राज्य करूं, यहाँ लाओ और मेरे सामने घात करो|" (बाइबल, लूका १९:२७).
अर्मगेद्दन के पश्चात ईसा जेरूसलम को अपनी अंतर्राष्ट्रीय राजधानी बनाएगा| बाइबल के अनुसार ईसा यहूदियों के मंदिर में ईश्वर बन कर बैठेगा और मात्र अपनी पूजा कराएगा| विशेष विवरण नीचे की लिंक पर पढ़ें,
http://en.wikipedia.org/wiki/Armageddon 

Apt mob 9868324025


On Tuesday, January 23, 2018, Ratanlal Purohit <rbpurohit4productivity@gmail.com> wrote:
गुलाम कुंदनम जी का आक्षेप सापेक्ष है। भावनाृओं से प्रेरितऔर तथ्यों से परे है।

On 22 Jan 2018 10:17 am, "Ghulam kundanam" <ghulam.kundanam@gmail.com> wrote:
         गुलाम हो चला देश
    …………………………

चुनाव आयोग, सतर्कता आयोग,
सूचना आयोग सहित
कई संवैधानिक पदों पर
और संवैधानिक संस्थाओं में भी
गुलाम बैठाए जाने लगे हैं।
जो संविधान को सरकार में बैठे
 दल के हिसाब से
परिभाषित और अवतरित करने लगे हैं।
अब बताने की जरूरत नहीं रही
कि कई मिडिया घराने भी
सत्तारुढ़ दल की गुलामी पर
मजबूरन उतरने लगे हैं।
इन सारे गुलामों की मदद से
जनता को गुलाम बनाकर
सत्तादल देश में घुम घुम कर
 लोकतंत्र को छलने लगे हैं।
एक बार फिर  से देश
गुलाम हो चला है,
राजतंत्र के नए अवतार
दलतंत्र के दस्यु गिरोहों का,
गुलामी को अब हम अपनी
नियति समझने लगे हैं।
गुलामी को अब हम अपनी
नियति समझने लगे हैं।

Õm - Õnkār - Allāh - God…..
ॐ - ੴ -  الله - † …….
Jai Hind! Jai Jagat (Universe)!

- ग़ुलाम कुन्दनम्
(Ghulam Kundanam).
21/01/2018

नोट:- इस रचना में दिए गए विचारों को व्यव्हार में मैंने अपने हाथों से
तोला है, अजमाया है। 2010-11 से लेकर अब तक मेरा कई संस्थाओं से पाला
पड़ा। उन्हीं अनुभवों और वर्तमान परिदृश्यों की प्रतिछाया है यह रचना ।
कांगेस सरकार में भी यह सब होता था और भाजपा सरकार में तो उससे भी ज्यादा
हो रहा है।

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