आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को एक कार्यकर्ता का पत्र
दिनांक
3 फ़रवरी, 2014
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के आदरणीय सदस्यगण,
जय हिन्द !
आम आदमी पार्टी में सत्ता का केन्द्रीयकरण होता जा रहा है | राष्ट्रीय
परिषद् की बैठक में 31 जनवरी 2014 को पार्टी के संविधान में कुछ संशोधन
किये गए | जिस तरह से संविधान संशोधन किये गए वह भी चिंताजनक है | जिस
तरह राष्ट्रीय परिषद् को नजरंदाज किया जा रहा है और जिस तरह से संविधान
का उल्लंघन किया जा रहा उससे प्रतीत होता है कि हम अपने लक्ष्य से भटक गए
है | इस विषय में मै अपनी बात विस्तार से कहना चाहता हूँ |
1. राष्ट्रीय परिषद् द्वारा संविधान संशोधन की प्रक्रिया:
पहला कदम – प्रस्तावित संविधान संशोधन को राष्ट्रीय परिषद् के कम से कम
10 प्रतिशत सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ प्रस्तुत करना |
दूसरा कदम – राष्ट्रीय परिषद् के सदस्यों को प्रस्तावित संविधान संशोधन
की समुचित सूचना देना |
तीसरा कदम – प्रस्ताव किये जाने के तीस दिन के भीतर प्रस्तावित संविधान
संशोधन को राष्ट्रीय परिषद् की बैठक में दो-तिहाई सदस्यों द्वारा
अनुमोदित करना |
2. राष्ट्रीय परिषद् द्वारा संविधान संशोधन की प्रक्रिया में कठिनाई :
पहली : जब तक यह नहीं मालूम होगा कि राष्ट्रीय परिषद् में कुल कितने
सदस्य हैं, उनका 10 प्रतिशत ज्ञात करना कठिन है |
दूसरी : राष्ट्रीय परिषद् के सदस्यों के नाम, पता, फ़ोन, ईमेल आदि उपलब्ध
न होने से संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर चर्चा और विचार-विनिमय संभव
नहीं है |
तीसरी : सामान्यतः एक जिले में राष्ट्रीय परिषद् का एक ही सदस्य होता है
| भारत में 640 जिलें है | ऐसे में संविधान संशोधन की पहल करने वाले
सदस्य को 10 प्रतिशत हस्ताक्षर करवाने के लिए कम से कम 64 जिलों में जाना
होगा |
चौथी : संविधान संशोधन या बदलने से पहले या मतदान से पहले प्रस्ताव के
पक्ष और विपक्ष में पर्याप्त चर्चा होनी चाहिए | इस हेतु संविधान में
आवश्यक परिवर्तन किया जाये |
3. राष्ट्रीय परिषद् द्वारा संविधान संशोधन की प्रक्रिया में
अनावश्यक कठिनाई को दूर करने के उपाय :
पहला : राष्ट्रीय परिषद् के सभी सदस्यों के नाम, पता, फ़ोन, ईमेल आदि का
विवरण पार्टी की वेबसाईट पर उपलब्ध होना चाहिए |
दूसरा : राष्ट्रीय परिषद् मामलों की समिति बनाई जाए जो राष्ट्रीय परिषद्
के सदस्यों से संविधान संशोधन सम्बन्धी सुझाव/प्रस्ताव स्वीकार करे | यह
समिति यथोचित स्थिति में राष्ट्रीय परिषद् के सदस्यों को संविधान और
राष्ट्रीय परिषद् के कार्यों, जैसे नीति निर्माण आदि, की समुचित सूचना दे
|
तीसरा : राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा किये संविधान संशोधनों और
प्रस्तावित संविधान संशोधनों को परिषद् की बैठक से 30 दिन पहले सभी
सदस्यों को भेजा जाये ताकि जिले, तहसील, ग्राम, वार्ड और कालेज स्तर तक
संशोधनों पर व्यापक चर्चा हो सके |
चौथा : राष्ट्रीय परिषद् को सिर्फ संविधान संशोधन ( amend ) का अधिकार है
लेकिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संविधान के संशोधन और बदलने ( amend and
alter ) अधिकार है | इस दृष्टि से देखा जाये तो राष्ट्रीय परिषद् की
तुलना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी ज्यादा सशक्त है | यह सत्ता के
विकेंद्रीकरण के विरुद्ध है | इसमें ठीक उल्टा करने की जरुरत है | अर्थात
राष्ट्रीय परिषद् को संविधान के संशोधन और बदलने (amend and alter) का
अधिकार हो | जबकि राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास सिर्फ संविधान संशोधन का
अधिकार हो |
4. राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा संविधान संशोधन की प्रक्रिया:
पहला : राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दो – तिहाई सदस्य संविधान को संशोधित
और बदल सकते है |
दूसरा : ये बदलाव और संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे |
तीसरा : इन प्रस्तावित बदलावों और संशोधनों का राष्ट्रीय परिषद् की अगली
बैठक में अनुमोदन जरूरी है | यह अनुमोदन कितने सदस्यों द्वारा हो,
संविधान इसकी स्पष्ट व्याख्या नहीं करता |
5. राष्ट्रीय कार्यकारिणी अति शक्तिशाली है क्योंकि:
पहला : राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संविधान बदलने और संशोधित करने का अधिकार है |
दूसरा : राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संशोधित संविधान को बिना राष्ट्रीय
परिषद् के अनुमति के लागू करने का अधिकार है |
तीसरा : राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संविधान की व्याख्या करने का भी अधिकार है |
चौथा : पार्टी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी
को आवश्यकतानुसार जितनी चाहे उतनी समितियों के गठन करने का अधिकार है |
पांचवा : दूसरी राजनैतिक पार्टियों के नेताओं को राष्ट्रीय कार्यकारिणी
के अनुमोदन के बाद ही पार्टी में शामिल किया जा सकेगा |
छठवां : राष्ट्रीय कार्यकारिणी निधि (Funds) को नियंत्रित करने वाले
नियमों को बना सकती है |
सातवाँ : राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास राष्ट्रीय, राज्य, जिला और निचले
स्तर पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के नियम बनाने का अधिकार है |
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास आचार संहिता, आंतरिक विवाद, शिकायत आदि के
मामलों के निपटारे के लिए राष्ट्रीय स्तर, राज्य स्तर, जिला स्तर और इससे
भी निचले स्तर पर अनुशासन समितियां बनाने का अधिकार होगा |
आठवां : राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शक्तियों का उल्लेख किया गया है |
जिम्मेदारियों का भी उल्लेख है लेकिन कर्त्तव्यों का स्पष्ट उल्लेख नहीं
है | जिम्मेदारियों और कर्त्तव्यों में अंतर स्पष्ट नहीं है |
नौवां : राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास विधायिका, कार्यपालिका और
न्यायपालिका तीनों तरह की शक्तियों का केन्द्रीयकरण है |
31 जनवरी 2014 को पार्टी संविधान में संशोधन और बदलाव करके पहले से ही
शक्तिशाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी को और अधिक शक्तिशाली बना दिया गया है |
इस संशोधन में संविधान के आर्टिकल IV(F)(D) में निम्नलिखित नई धाराएं
जोड़ी गयी है :
(XIV) राष्ट्रीय कार्यकारिणी को किसी भी अंग/समिति/टीम को चुनने और राज्य
विधानसभा और लोकसभा के उम्मीदवारों का चयन करने के लिए प्रक्रिया
निर्धारित करने की शक्ति होगी |
(XV) किसी भी अंग/समिति/प्राधिकारी के अस्तित्व की अनुपस्थिति में
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास ऐसे सभी अधिकारों को निष्पादित करने का
अधिकार होगा जो उस अंग/समिति/प्राधिकारी को प्रदत्त किये गए हो |
(XVI) राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास किसी भी अंग/समिति/टीम को निलंबित
करने / भंग करने और किसी भी पदाधिकारी या किसी भी अंग/टीम/समिति के सदस्य
को हटाने की शक्ति होगी |
(XVII) राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पास वे सभी शेष शक्तियां होगीं जो इस
संविधान की किसी अन्य गठन/अंग/समिति/प्राधिकारी को विशेष रूप से आवंटित न
की गयी हों |
किसी आपातकाल की स्थिति में उपरोक्त वर्णित शक्तियों का प्रयोग राजनैतिक
मामलों की समिति (PAC) द्वारा किया जा सकेगा बशर्ते राष्ट्रीय
कार्यकारिणी की अगली बैठक में इसका अनुमोदन कर लिया जाये |
6. 31 जनवरी 2014 को किये गए सभी संविधान संशोधन पूरी तरह असंवैधानिक और
अवैध है क्योंकि :
पहला : राष्ट्रीय परिषद् में राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा संविधान
संशोधनों की समुचित सूचना नहीं दी गई | आम आदमी पार्टी का संविधान पार्टी
की आत्मा है | संविधान संशोधन पार्टी द्वारा किये जा रहे कार्यों में
सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है | यह कार्य तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता
है जब संविधान में कुछ नए अनुच्छेद जोड़ने हों | प्रस्तावित संशोधनों और
प्रस्तावित नए अनुच्छेदों को राष्ट्रीय परिषद् के सदस्यों को कम से कम 15
दिन पहले दो भाषाओँ- हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध करवाया जाना चाहिए था
| आम आदमी पार्टी सहभागी लोकतंत्र में विश्वास करती है | प्रस्तावित
संविधान संशोधनों पर पार्टी के सभी साधारण सदस्य भी राष्ट्रीय परिषद् के
सदस्यों के माध्यम से अपनी राय व्यक्त कर सकें इसलिए इन संशोधनों को
पार्टी की वेबसाइट/फेसबुक और अन्य सार्वजनिक डोमेन ( public domain ) पर
भी रखा जाना चाहिए था |
दूसरा : राष्ट्रीय परिषद् में संविधान संशोधन प्रस्ताव उचित तरीके से
प्रस्तुत नहीं किया गया | राष्ट्रीय कार्यकारिणी को प्रस्ताव प्रस्तुत
करते समय बताना चाहिए था कि कितने सदस्यों ने, किन परिस्थितियों में
संविधान में संशोधन और नए अनुच्छेद जोड़ने का निर्णय लिया | संविधान
संशोधन प्रस्तुत करते समय यह बताया गया कि बहुत मामूली जैसे भाषा, शब्दों
को बदलना आदि संशोधन करने है | इतने महत्वपूर्ण संशोधनों की गंभीरता को
कम करके प्रस्तुत करना भ्रामक प्रस्तुतीकरण का उदाहरण है | राष्ट्रीय
कार्यकारिणी को संविधान संशोधन और संविधान बदलने की शक्ति प्रदत्त की गयी
है | लेकिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी का यह कर्त्तव्य भी होना चाहिए वह
राष्ट्रीय परिषद् को इस बात की जानकारी दे कि उसे इस महत्त्वपूर्ण शक्ति
का प्रयोग करने की क्यों आवश्यकता पड़ी |
तीसरा : संविधान संशोधन की सामान्य प्रक्रिया में भी प्रस्ताव का विरोध
करने वालों में से कुछ लोगों को अपने तर्क प्रस्तुत करने का अवसर मिलता
है | राष्ट्रीय परिषद् में संविधान संशोधन प्रस्ताव का विरोध करने वालों
को अपने तर्क प्रस्तुत करने का अवसर दिये बिना ही मतदान करवाया गया |
विपक्ष के तर्क सुने बिना और बिना स्वस्थ्य चर्चा के मतदान करवाना
लोकतंत्र को भीड़तंत्र बनाना है |
चौथा : पार्टी के 300 संस्थापक सदस्य है | 309 जिलों में जिला
कार्यकारिणियों का गठन हो गया है | इस तरह राष्ट्रीय परिषद् में कुल 609
सदस्य होते है | संविधान के अनुच्छेद IV(F)(D) में नई धाराएं जोड़ने पर
हुए मतदान में 136 लोगों ने अनुच्छेद जोड़े जाने का समर्थन किया जबकि 59
लोगों ने इसके विरोध में मतदान किया | इससे यह माना जा सकता है कि
राष्ट्रीय परिषद् की बैठक में कुल 195 सदस्य उपस्थित थे | यह सदस्य
संख्या राष्ट्रीय परिषद् की कुल सदस्य संख्या का एक तिहाई से भी कम थी |
पार्टी के संविधान के अनुच्छेद VII(बी) के अनुसार यदि किसी बैठक में एक
तिहाई से कम सदस्य उपस्थित हों तो गणपूर्ति (कोरम ) ही पूरा नहीं होता |
राष्ट्रीय परिषद् की बैठक में गणपूर्ति (कोरम ) पूरी नहीं हुई इसलिए
परिषद् द्वारा पारित सभी संविधान संशोधन अवैध है |
पांचवा : राष्ट्रीय परिषद् के 609 सदस्यों में से सिर्फ 136 ने अनुच्छेद
IV(F)(D) में नयी धाराएँ जोड़ने के पक्ष में मतदान किया | यह कुल सदस्य
संख्या का 22 प्रतिशत है | राष्ट्रीय परिषद् के सिर्फ 22 प्रतिशत सदस्यों
की सहमति से अनुच्छेद IV(F)(D) में जोड़ी गई धाराएं असंवैधानिक है |
सामान्यतः किसी भी संविधान संशोधन के लिए कुल सदस्यों में से दो-तिहाई या
तीन-चौथाई सदस्यों की सहमति की आवश्यकता होती है | उपस्थिति संख्या के दो
– तिहाई सदस्यों की सहमति से यदि संविधान संशोधन की परंपरा बन गई तो यह
भविष्य में बहुत खतरनाक साबित होगी |
7. आम आदमी पार्टी में सारी वास्तविक शक्तियां राजनैतिक मामलों की
समिति(PAC) के पास केन्द्रित है क्योंकि:
पहला : किसी आपातकाल की स्थिति में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की समस्त
शक्तियों का प्रयोग राजनैतिक मामलों की समिति (PAC) द्वारा किया जा सकेगा
बशर्ते राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अगली बैठक में इसका अनुमोदन कर लिया
जाये |
दूसरा : हाल ही में किये गए संविधान संशोधन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की
बैठक हर तिमाही में एक बार होगी | पार्टी संविधान के अनुच्छेद IV (F)(e)
के अनुसार राजनैतिक मामलों की समिति (PAC) राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो
बैठकों के बीच के सभी कार्यकारी कार्यों को करेगी |
8. राजनैतिक मामलों की समिति मनमाने तरीके से कार्य कर रही है क्योंकि :
पहला : राष्ट्रीय परिषद् की 24 नवम्बर को हुई पहली बैठक में परिषद् ने 23
सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी को स्वीकार किया था | राष्ट्रीय परिषद् की
सहमति के बिना राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एक सदस्य को जोड़ दिया गया है|
दूसरा : दिल्ली राज्य में प्रदेश संयोजक, सह संयोजक और सचिव की नियुक्ति
कर दी गयी | अन्य राज्यों में लोकतांत्रित तरीके से प्रदेश कार्यकारिणी
का गठन हुआ है | दिल्ली में पदाधिकारियों की नियुक्ति मनमानेपन का उदाहरण
है |
तीसरा : राष्ट्रीय परिषद् की सहमति के बिना राष्ट्रीय स्तर पर प्रवक्ताओं
और पेनलिस्ट की नियुक्ति कर दी गयी है |
चौथा : राष्ट्रीय परिषद् नीति निर्माण की सर्वोच्च संस्था है | राष्ट्रीय
नीतियों के निर्माण हेतु समितियों के गठन करने से पहले पहले परिषद् के
सदस्यों को सूचना नहीं दी गयी | राष्ट्रीय परिषद् की अवहेलना किया जाना
यह साबित करता है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी राष्ट्रीय परिषद् को देश के
लिए नीतियां बनाने के काबिल नहीं मानती | यह अवहेलना यह भी साबित करती है
कि परिषद् के पास नीतियां बनाने के लिए नीति-विशेषज्ञों को खोजने की समझ
भी नहीं है |
पांचवा : राष्ट्रीय परिषद् को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के मिनट्स
नहीं भेजे जा रहे है | राष्ट्रीय कार्यकारिणी गुप-चुप तरीके से और मनमाने
तरीके से निर्णय ले रही है |
9. राजनैतिक मामलों की समिति देश को धोखा दे रही क्योंकि :
पहला : अगस्त 2012 में जनता से पूछा गया था कि अच्छे उम्मीदवारों का चयन
कैसे किया जाये | हजारों लोगों ने पत्र लिखकर अपने सुझाव दिए | सुझावों
का अध्ययन करके अच्छे उम्मीदवारों को चयनित करने की प्रक्रिया तय की गयी
| इस प्रक्रिया का जोर-शोर से प्रचार किया गया | मिशन बुनियाद के समय
पूरे देश में संगठन बनाते वक्त चयन प्रक्रिया बताकर ईमानदार और जुझारू
लोगों को जोड़ा गया | देश के ईमानदार लोगों ने पार्टी की बुनियाद रखी |
पार्टी की नींव रखने वाले ईमानदार लोग अब हमसे दूर होते जा रहे है | उनकी
जगह नए लोग जरूर आ रहे है | हमें लोगों की गुणवत्ता की फिक्र होनी चाहिए
न सिर्फ संख्या की | लोगों की दिल्ली चुनाव में प्रक्रिया का पालन नहीं
किया गया | अब प्रक्रिया बदलने की बात की जा रही है | यह कहा जा रहा है
कि प्रक्रिया का पालन करना संभव नहीं है | मुझे लगता है यह पूरी तरह संभव
है | हम ऐसा करके दिखा सकते हैं | और यदि नहीं कर पाए तो भी कोई बात नहीं
| हम फिर लोगों के पास जायेंगे, उन्हें बताएँगे कि क्या परेशानी आ रही है
| उनसे फिर नई प्रक्रिया पूछेंगे | हम लड़ेंगे, हो सकता है हार जाएँ |
लेकिन रास्ता नहीं बदलेंगे | क्योंकि हमारा रास्ता ही तो हमारी मंजिल है
| रास्ते पर चलते समय हम गिरेंगे, लड़खड़ाएंगे, संभलेंगे लेकिन शार्ट कट
नहीं अपनाएंगे | पार्टी के लोगों को देश बदलने की कोई जल्दी नहीं है,
चुनाव जीतने की कोई जल्दी नहीं है | ऐसा लगता है राजनैतिक मामलों की
समिति को चुनाव जीतने-जिताने की जल्दी है |
दूसरा : हमें देश के लिए राष्ट्रीय नीतियां बनानी है | राष्ट्रीय
कार्यकारिणी इन नीतियों को बनाने वाले लोगों का चयन कर रही है | ये लोग
वामपंथी हो सकते हो | दक्षिणपंथी हो सकते है | सांप्रदायिक हो सकते है |
ये लोग किसी वर्ग विशेष के तुष्टिकरण के लिए नीतियां बना सकते है |
नीतियां समिति बनाने के लिए सार्वजनिक रूप से घोषणा न करके पार्टी
सदस्यों की अवसर की समानता के अधिकार का हनन किया गया है | आम आदमी
पार्टी की विचारधारा समाजवादी या पूंजीवादी नहीं है | इसलिए यदि इस
पार्टी को पूंजीवादी या वामपंथी पार्टी बनने से रोकना है तो पार्टी की
नीतियां बनाते समय पार्टी के अन्दर और पार्टी के बाहर खुले मंच पर व्यापक
बहस होनी चाहिए | सभी राष्ट्रीय मुद्दों – आरक्षण, महिला आरक्षण, विदेश
नीति, धारा 370, समान नागरिक संहिता, नक्सलवाद, कश्मीर और पूर्वोत्तर में
सेवा द्वारा अधिकारों का दुरूपयोग, छोटे राज्यों की उपयोगिता, आर्थिक
नीति, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आदि विषयों पर बिना वोट बैंक की चिंता किये
पार्टी के अन्दर और बाहर हमें खुले मन से चर्चा और विचार-विमर्श करना
चाहिए |
तीसरा : पार्टी देश की नीतियां और कानून बनाने में जनता की पहल / जनमत से
भागीदारी चाहती है लेकिन अपनी पार्टी के संविधान में परिवर्तन करते समय
सिर्फ कुछ लोगों ने मिलकर इतने बड़े निर्णय ले लिए |
चौथा: हमने लोकसभा उम्मीदवार के फॉर्म में आवेदकों से एक घोषणा करवाई थी
जिसमे लिखा था "मैंने प्रत्याशी चयन प्रक्रिया पढ़ और समझ ली है तथा मै
इससे सहमत हूँ |" लेकिन फॉर्म और वेबसाइट में प्रत्याशी चयन प्रक्रिया
नहीं दी गयी है | हमारे विज़न डॉक्यूमेंट में प्रत्याशी चयन प्रक्रिया दी
गयी है | प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में बदलाव करना पार्टी से लोकसभा चुनाव
में प्रत्याशी बनने वाले आवेदकों के साथ धोखा करना है |
मेरा मकसद अपनी पार्टी की सकारात्मक आलोचना करके उसे व्यवस्था परिवर्तन
का माध्यम बनाना है | यदि हम सुधरना चाहते है तो सबसे पहले हमें अपनी
गलती को पहचानना पड़ेगा, उसे स्वीकार करना पड़ेगा और तब हम सुधार कि दिशा
में आगे बढ़ सकते है | उम्मीद है मेरे इस पत्र को सकारात्मक रूप से लिया
जायेगा और सुधारात्मक कदम उठाये जायेंगे |
राजनीति में बड़ी मुश्किल से वैसे ही ईमानदार लोग आते है | यदि वे भी
पार्टी छोड़कर जा रहे है तो ये चिंता का विषय है | यदि शीघ्र ही ठोस कदम
नहीं उठाये गए तो हमारी पार्टी भी सैकड़ों पार्टियों में से एक पार्टी
बनकर रह जाएगी |
मुझे आप लोगों की नीयत, ईमानदारी और काबिलियत पर पूरा विश्वास है |
उम्मीद है आप इस विश्वास को कायम रखेंगे |
स्वराज की यात्रा में आपका सहयात्री
प्रहलाद पाण्डेय
इंदौर (मप्र)
Email: prayas1780@gmail.com
I aree and its early step to take action against food served even in Rajdhani is horrible, not to talk of ordinary train..
Dr. Mukti sharmaResearch Officer,
Department of Cardiology
CN Centre, AIIMSNew Delhi-110029
On Sun, Mar 22, 2015 at 12:46 PM, RIM Chennai <rim.chennai@gmail.com> wrote:
The discussion about Tatkal ticket reservation is appreciable one. My question is why Tatkal? Why cant the government impose certain restrictions on agents in booking railway tickets? It's very simple. ID card numbers - voter ID, pan card , adhaar and passport as ID - should be made compulsory in booking tickets to eliminate middlemen.Next issue is, food served in the railway compartments are horrible. The tea and coffee are a shame. Why cant the government impose quality assurance that is imposed on other restaurants and food outlets?John LopezPresident & Chief Executive
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