दस साल सैनिक - काल
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भ्रष्ट चुनावी व्यवस्था में,
हारे, भ्रष्ट, मंत्री बनते रहेंगे,
जनता इनकी दोहरी मार,
सदैव यूँ ही सहते रहेंगे ।
उग्रवाद का नहीं होगा अगर,
नेताओं से राजनैतिक समाधान,
भ्रष्टाचार के निवारण का अगर,
बना नहीं लोकपाल विधान !
उग्रवादियों का इलाज़ भी
सेना के पास है मौजूद,
भ्रष्ट नेताओं का इलाज होगा,
सैनिक शासन का वजूद ।
सुधर जाओ सियासतदानों,
हमने ठोक दी है ताल,
अगर नहीं सुधरे तो होगा,
दस साल सैनिक - काल । अगर …
- ग़ुलाम कुन्दनम्
10/07/2016
FB लिंक :-
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उग्रवाद के कारण देश में सैनिक और अर्धसैनिक बलों के जवान कुर्बानी देते
आए हैं… देश के लूटेरों को भी चुपचाप देखते आए हैं। अगर उग्रवाद और
भ्रष्टाचार दोनों का निदान नहीं किया गया तो सेना अपने तरीके से निदान
करना शुरू करेगी।
एक समय जनरल वी॰ के॰ सिंह से उम्मीद जगी थी की वे देश के भ्रष्टाचार को
मिटाने के लिए सैनिक कदम बढ़ाएंगे पर वे भी सत्ता के लोभी निकले। सबकुछ
भूल गए । जब 2012 में वे जनलोकपाल आन्दोलन में साथ आए थे तो उनके
सम्मान में भी मैंने एक कविता लिखी थी जिसे फ़ेसबूक से नयी या पूरानी
सरकार ने हटवा दिया है। जो इस प्रकार थी :-
भ्रष्टाचार उन्मूलन का दायित्व
भ्रष्टाचार के साथ ही देश आजाद हुआ था.
उसे ख़त्म करना राजनेताओं का फर्ज है.
पैसठ सालों से नेता उसे खूब संरक्षण दे रहे,
लोकपाल इस देश और जनता का अर्ज है.
नेताओं की नियत अब नहीं बदलने वाली,
अब आगे बढ़ो नागरिकों, अगर तुम्हे गर्ज है.
हर गाँव हर मोहल्ले में अन्ना समूह बने,
देश और समाज का हम पर ये कर्ज है.
नेता भी दायित्व भूले, जनता भी भूल रही,
अब टूट रहा है वीर सैनिकों का भी धौर्य है.
अभी तो भुतपूर्व जनरल ही तुम्हें जगा रहे,
भविष्य के पन्नों में सैनिक शासन दर्ज है.
पटना में २७-८-२०१२ को इस सम्मलेन में कई संगठन के साथ ही कई भूतपूर्व
सैनिकों ने भी भाग लिया. राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेवारी समझ कर सभी
बुद्धिजीवी अपना समय निकल कर एक प्रभावी राष्ट्रव्यापी नागरिक समाज का
गठन हर गांव से लेकर हर शहर तक करें और परसपर संवाद और सहयोग बढाकर अच्छे
और संच्चे लोगों को संसद भेजने की तैयारी करें…. नहीं तो....
अभी तो भूतपूर्व जनरल ही हमारे बीच हैं कल को अभूतपूर्व जनरल यानि
कार्यरत जनरल भी राजनीती की कमान संभाल सकते हैं... इसमें कोई आश्चर्य की
बात नहीं होगी..
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