OROP By Rano Dayal
देशवासियो !! समझ लीजिये -
OROP न मांग ,न भीख ,न है दया ,
न अमीरो की धनराशी है ,न गरीबो की माया ,
यह मेरे सैनिको का हक है ,उन्होंने खुद है कमाया!!
जब यह सैनिक सरहद पर जाते है ,
इनके भी पाँव कापते है ,
इनको भी अपना परिवार याद आता है,
पर यह माँ- माँ करके टेसुए नहीं बहाते।
यह हिन्दुस्तान की रक्षा के लिए ,
और आप भारतवासियो के विशवास पर ,
अपने परिवार का कल दाव पर लगाजाते है।
आज जब इनकी बारी आई ,तो क्यों सरकार को सांप सूंघ गया ,
मीडिया जो ट्रांसपेरेंसी की बाते करता है ,जाने किस बिल में घुस गया।
दरअसल यह भारत का दुर्भाग्य है -
यहाँ जब पोलटिशन धुन बजाता है , तभी मीडिया गीत गता है।
इंदरानी, शीना की माँ थी ? यां शीना इंदरानी की माँ थी ?
इस चर्चा को तो प्राइम टाइम पर चलाता है ,
अपने देश का सैनिक सड़को पर है, इसे दर्शाने से घबराता है।
सैनिक जब फ़ौज में होता है कब सोचता है
मुझे P M R , लेना है के नहीं ?
मै सरहद पर जाऊ ,के नहीं ?
मुझे OROP मिलेगा के नहीं ?
खुदा के वास्ते ,यह ज़हर मेरी फ़ौज में न घोलिये ,
भारत को मेहंगा पड़ेगा -
मेरी फ़ौज की एकता से न खेलिये।
कहते है, OROP -इम्प्लीमेंट करदिया ,
भाई और भाई के बीच गड्ढा खोद दिया ,
OROP को समझ कर भी, न-समझ कर दिया ,
आखिर ,डिवाइड एंड रूल (divide and rule)की पौलिसी को इस सरकार ने भी अपना लिया ,
और इसका घुन फ़ौज में भी लगा दिया।
साहब ५६ की छाती रखते हो ,बड़ी अच्छी बात है ,
पर ज़ुबान की कदर करना भी सीखो।
अपने इस गंदे पॉलिटिक्स के चककर में , मेरी फ़ौज की इज़्ज़त को न रौंदो।
और जंहा तक रहा OROP का सवाल ,
वो तुम्हे देना ही पड़ेगा।
क्युकि OROP -चंद सिक्के नहीं है ,इज़्ज़त है !
अगर सैनिक मर्यादा में रहता है ,और सभ्य भाषा बोलता है ,
ये, हिन्दुस्तान की इज़्ज़त के लिए अगर सर कटा सकता है ,
तो इसे कमज़ोर मत समझो।
बस इतना फर्क है -
ये यहाँ भूखा-प्यासा बैठ कर भी ,
फ़ौज और हिंदुस्तान की इज़्ज़त को अपनी इज़्ज़त से अधिक तोलता है।
* रानो दयाल *
देशवासियो !! समझ लीजिये -
OROP न मांग ,न भीख ,न है दया ,
न अमीरो की धनराशी है ,न गरीबो की माया ,
यह मेरे सैनिको का हक है ,उन्होंने खुद है कमाया!!
जब यह सैनिक सरहद पर जाते है ,
इनके भी पाँव कापते है ,
इनको भी अपना परिवार याद आता है,
पर यह माँ- माँ करके टेसुए नहीं बहाते।
यह हिन्दुस्तान की रक्षा के लिए ,
और आप भारतवासियो के विशवास पर ,
अपने परिवार का कल दाव पर लगाजाते है।
आज जब इनकी बारी आई ,तो क्यों सरकार को सांप सूंघ गया ,
मीडिया जो ट्रांसपेरेंसी की बाते करता है ,जाने किस बिल में घुस गया।
दरअसल यह भारत का दुर्भाग्य है -
यहाँ जब पोलटिशन धुन बजाता है , तभी मीडिया गीत गता है।
इंदरानी, शीना की माँ थी ? यां शीना इंदरानी की माँ थी ?
इस चर्चा को तो प्राइम टाइम पर चलाता है ,
अपने देश का सैनिक सड़को पर है, इसे दर्शाने से घबराता है।
सैनिक जब फ़ौज में होता है कब सोचता है
मुझे P M R , लेना है के नहीं ?
मै सरहद पर जाऊ ,के नहीं ?
मुझे OROP मिलेगा के नहीं ?
खुदा के वास्ते ,यह ज़हर मेरी फ़ौज में न घोलिये ,
भारत को मेहंगा पड़ेगा -
मेरी फ़ौज की एकता से न खेलिये।
कहते है, OROP -इम्प्लीमेंट करदिया ,
भाई और भाई के बीच गड्ढा खोद दिया ,
OROP को समझ कर भी, न-समझ कर दिया ,
आखिर ,डिवाइड एंड रूल (divide and rule)की पौलिसी को इस सरकार ने भी अपना लिया ,
और इसका घुन फ़ौज में भी लगा दिया।
साहब ५६ की छाती रखते हो ,बड़ी अच्छी बात है ,
पर ज़ुबान की कदर करना भी सीखो।
अपने इस गंदे पॉलिटिक्स के चककर में , मेरी फ़ौज की इज़्ज़त को न रौंदो।
और जंहा तक रहा OROP का सवाल ,
वो तुम्हे देना ही पड़ेगा।
क्युकि OROP -चंद सिक्के नहीं है ,इज़्ज़त है !
अगर सैनिक मर्यादा में रहता है ,और सभ्य भाषा बोलता है ,
ये, हिन्दुस्तान की इज़्ज़त के लिए अगर सर कटा सकता है ,
तो इसे कमज़ोर मत समझो।
बस इतना फर्क है -
ये यहाँ भूखा-प्यासा बैठ कर भी ,
फ़ौज और हिंदुस्तान की इज़्ज़त को अपनी इज़्ज़त से अधिक तोलता है।
* रानो दयाल *
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-------- Original message --------
From: Sarbajit Roy <sroy.mb@gmail.com>
Date: 06/10/2015 9:44 am (GMT+05:30)
To: indiaresists@lists.riseup.net
Subject: Re: [IAC#RG] Fwd: OROP
Dear Wing Commander Chadda,
I request you to re-read my emails on this subject. Our concerns with
OROP are with ALL such types of pension schemes where the politicians
are spending / pledging the wealth / defence of the future children of
India on today's recklessness.
FYI: I was born in the Base Army Hospital at Delhi Cantt - a Military
Hospital - and I was delivered by Col Chapekar, AMC, a member of the
well known Chapekar family of patriots. My delivery fees and hospital
charges were paid from my grandfather's meagre military pension.
So it is wrong to say that I crib about fauljis getting pension or
treatment in Military Hospitals post retirement.
sincerely
Sarbajit
On 10/3/15, Sk Chadda <chaddask@gmail.com> wrote:
> Dear Jhaji,
> Sarbajit and others who are feeling bad about OROP have absolutely no idea
> about the basics of OROP. They crib for everything the faujis are getting
> as their entitlement, after retirement. Medical services and Military
> Hospitals for armed forces pensioners is very painful for Sarbajit & co.
> Gentlemen, for your kind information, the retired armed forces personnel
> avail medical facilities under the scheme known as *ECHS.* This means
> Ex-servicemen Contributory Health Scheme. Retired personnel become member
> of this scheme with their share of contribution. Talking about canteen
> facilities, Nothing is contributed by the Govt,or subsidized. This is a
> system run by the Defence Services personnel, efficiently, with least or no
> corruption keeping profitability to the standards laid down by the Ministry
> of Defence. Employees working in the CSD outlets are paid from the profit
> earned by the canteens. The canteens are operated on "rate contract basis".
> That is how the things are comparatively cheaper in the canteen and not
> because anything is subsidized like Parliament Canteens.
> Now coming to OROP, it is not something like a person having access to a
> politician makes the politician drunk and gets a promise of OROP. What do
> you think, Congress Govt agreed for OROP without any base? Koshiyari
> commission appointed by the Parliament forcefully recommended OROP. It is
> only babus who suffer from inferiority complex want to settle the
> score with Defence Forces. Do you think Modiji during his campaign in last
> general election, had no knowledge about OROP. He promised for OROP as he
> was fully convinced about the demand. The demand for OROP has been accepted
> by two different governments, the PM has announced it twice from Lal Qila
> and as on date no Governmental functionary contradicts. On one hand we take
> pride as the biggest democracy of the world and on the other hand the issue
> which affects over 3 million bona fide citizen is being handled most
> undemocratically. Mr Sarbajit, no one cares for your useless, baseless
> cries. You are not running the Govt, and you are in no capacity to even
> propose anything except cribbing. This matter is being talked at much
> higher level than you can even think of.
>
Post: "indiaresists@lists.riseup.net"
Exit: "indiaresists-unsubscribe@lists.riseup.net"
Quit: "https://lists.riseup.net/www/signoff/indiaresists"
Help: https://help.riseup.net/en/list-user
WWW : http://indiaagainstcorruption.net.in
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