Tuesday, May 28, 2013

[IAC#RG] नेता और अधिकारी भाई

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नेता और अधिकारी भाई 
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भाषण में देश के लिए 
मेरे खून का कतरा कतरा। 
देश की सड़कों का सारा,
पी जाता हूँ अलकतरा । 

ग़रीबों को मिटा कर हमने
दिया गरीबी मिटाने का नारा।
नागरिकों का निवाला ही नहीं 
खा गया गायों का चारा।

हर विभाग से रिश्वत चलकर
हर बार मेरे हिस्से भी आई। 
पकड़ा गया अगर कभी तो,
किसी गुर्गे को मुर्गी बनाई। 

अंग्रेजों के ज़माने जैसे ही 
आज भी होते हैं कलक्टर 
मखमली बिस्तर पे सोते
पाँचों उंगलियों में घी-शक्कर।

एक तथाकथित जनसेवक है,
तो दूसरे लोकसेवक कहलाते हैं
वातानुकूलित कमरे मे बैठकर
जनता दरबार लगाते हैं।

माना की इस देश की जनता
अक्सर कुछ देर से जागती है
क्रान्तिकारियों के सर पर
बसंती टोपी ही फ़बती है।

आने वाले दिनों में अब 
व्यवस्था परिवर्तन ही नारा होगा,
देश तो आज़ाद है मगर
आज़ाद लोकतन्त्र भी हमारा होगा। 

ॐ . ੴ . اللّٰه . † …….
Om.Onkar. Allâh.God…..
Jai Hind! Jai Jagat (Universe)!

- ग़ुलाम कुन्दनम्
शिक्षक एव सामाजिक कार्यकर्ता । 
स्वयंसेवक, जनतन्त्र मोर्चा एवं 
आम आदमी पार्टी।
9931018391



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